प्रोद्योगिक (technology) उन्नति का श्राप

हर वोह प्रोद्योगिक उन्नति जो इंसान के काम और श्रम को मिटा दे उसे उन्नति नहीं कहा जा सकता।

भारत एक ऐसा राष्ट्र है जो बेरोज़गारी, प्रतिभा से निचे तबके का काम और बेकार काम से जून्ज रहा है।इस देश के गाँवो और शहरो में करोडो गरीब लोग बेकार में बैठे किसी काम का इंतज़ार कर रहे है। इस गंभीर स्थिति में बार बार सूखा पड़ने के कारन और करोडो खेतहर मज़दूर भी बेरोज़गार हुए जा रहे है। इस बीच मनरेगा से गरीबो को कुछ राहत तो मिलती है लेकिन यह राहत इस बीमारी का हल नहीं है।

इस चिंतामयी हालत में, वह प्रोद्योगिक उन्नति की और बढ़ना जो इंसान के काम को हटा के मशीन को सौंप दे देश के खिलाफ एक गंभीर गुनाह करने के बराबर होगा। ऐसा करके हम अपने देश में एक परिस्थिति बना रहे है जहाँ कुछ धनि लोगो के प्रोद्योगिक उन्नति से होने वाले मुनाफे के लिए हम देश के समाज को गरीबी और बेरोज़गारी में धकेल रहे है।

इस देश के सभी निवासियों को अपनी सारी ऊर्जा ऐसी प्रोद्योगिक उन्नति में लगानी चाहिए जो इंसान के काम को बेहतर ढंग से करने में परिपूर्ण करे। हमे ऐसी मशीने बनानी है जो हमारे लिए रोज़गार बढ़ाये न की हमारा रोज़गार छीन ले। हमे अपने उत्पादन की प्रतिक्रिया को विकेन्द्रित (decentalisation) करने की ज़रुरत है। एक समय पे भारत में हथकरघा (handloom) और सिलाई से लाखो लोग करोडो लोगो के लिए कपडा बनाते थे. बिजली से चलने वाले करघा (powerloom) ने करोडो के लिए कपडा हज़ारो लोगो से बना लिया। इस बदलाव से हमारे लाखो जुलाहा (weaver) और दरजी लोग बेरोज़गार हो गए। उसी तरह हमारे यहाँ लाखो सफाई कर्मचारी हमारी सड़को को और शहरों को साफ़ करते है। एक सफाई करने वाली ट्रक मशीन हज़ारो कर्मचारियों का काम कर सकती है। लेकिन ऐसी मशीन को लाने से हज़ारो कर्मचारी बेरोज़गार हो जायेंगे और यह कहना की इन मध्य उम्र के लोगो को फिर किसी अग्रिम (advance level) तबके का ज्ञान देके नया काम सिखाया जाये एक बेवकूफी होगी। जो देश अपने जवान को अग्रिम काम के लिए कौशल नहीं बना पा रहा वह क्या अपने मध्य उम्र के लोगो को नया कौशल सीखा सकेगा। हम एक ऐसी परिस्थिति बना रहे है जहा हम इंसानो को मशीन से पर्तिस्पर्धा करवा रहे है, ऐसी मशीन जो चौबीस घंटे सांत दिन बिना रुके काम कर सकती है। हमे ऐसा होने से रोकना है न की इसे बढ़ावा देना है।

इसीलिए ऐसी प्रोद्योगिक उन्नति जो हमारे लोगो को बरोजगारी में धकेल दे, इसको हमारी सरकार को रोकना होगा। जो सरकार लोगो के लिए है उसका धरम है, ऐसी उन्नति को रोकना और अपने गरीब अनपढ़ लोगो के रोज़गार की रक्षा करना। जो सरकार ऐसा करने में असफल है या ऐसी कदम उठाने के लिए तैयार नहीं है वह एक अवैध सरकार है। वैसे भी करोडो अनपढ़ गुमराह लोगो के वोट से चुनी हुई सरकार अपने आप को वैध नहीं बोल सकती खासकर तब जब सरकार खुद गलत जानकारी देके लोगो को गुमराह करने का काम कर रही हो। नियंत्रित रूप में प्रोद्योगिक उन्नति के सवाल को अब किसी भी तबके पे सरकार और लोग नज़र अंदाज़ नहीं कर सकते। हमे इस कठिन मुद्दे पे बात करनी ही होगी।

ऊपर लिखे हुई सभी सोच निजी है और महात्मा गाँधी के विचारो से प्रेरित है। इन विचारो के विरुद्ध कही जाने वाली हर बात का में सम्मान करता हु और उसपे चर्चा करने के लिए उत्सुक हु ।

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